लेखनी कविता - आवारा सजदे - कैफ़ी आज़मी

63 Part

24 times read

1 Liked

आवारा सजदे / कैफ़ी आज़मी इक यही सोज़-ए-निहाँ कुल मेरा सरमाया है दोस्तो मैं किसे ये सोज़-ए-निहाँ नज़र करूँ कोई क़ातिल सर-ए-मक़्तल नज़र आता ही नहीं किस को दिल नज़र करूँ ...

Chapter

×